अगर आपने हाल ही में Failure का सामना किया है तो हम समझ सकते है की आपकी मानसिक अवस्था क्या होगी ।
आपका सर घूम रहा होगा और आपके विचार बहुत ही नेगेटिव होंगे, मन में कई हज़ारों सवाल खड़े हो रहे होंगे जैसे की यह मेरे साथ ही क्यों हुआ? मेरे साथ ही हर बार ऐसा क्यों होता है? मेरी तो किस्मत ही खराब है, इस तरह के हजारों सवाल और दूर – दूर तक अंधेरा ही दिख रहा होगा ।
लेकिन अभी के लिए सभी चिंताओं को छोड़ दे और पूरे दिल से इस लेख को पढ़िए क्योंकि इस लेख में हम शेयर कर रहे बहुत ही महत्वपूर्ण बातें जो आपके Failure के सिरदर्द को गायब कर सफलता के लिए नया जोश, उत्साह और प्रेरणा की नई साँसे आपके अंदर भरेगा ।
आइए तो शुरू करते है 5 ऐसी बातें जो आपके Failure नाम के रोग को दूर करने के लिए दवाई की तरह उपयोग करनी है ।
1 – Take Rest (छोटा-सा रेस्ट ले)
जैसे की हमने ऊपर बताया की अगर आपने हाल ही में Failure का सामना किया है तो आपका सिस्टम बहुत ही तेज़ चल रहा होगा और आप बहुत ही तनाव में होंगे ।
लेकिन अगर आप कोई समाधान चाहते है तो आपको इस परिस्थिति से बहार आना होगा मतलब की आपको आपके सिस्टम को थोड़ा शांत, धीमा करना होगा, आपके मन के विचारों पे लगाम लगाकर शांत होना होगा और इसके लिए यह बहुत ही जरूरी है की आप एक छोटा-सा रेस्ट ले ।
रेस्ट का मतलब है की आपको इस शोर – शराबे से अपने आपको दूर करना है और आपको ऐसी जगह जाना है जहाँ सिर्फ आप अपने साथ हो और आप अपने दिल की बातें सुन पाए, आप खुद को खुद की नजरों से देख पाए और आकलन कर पाए ।
कोशिश करे की आप थोड़े समय के लिए लोगों से कट कर प्रकृति के साथ जुड़े क्योंकि प्रकृति से आपको ऊर्जा और शांति मिलेगी जिससे आपके अंदर की थकावट कम होगी और आपका सिस्टम भी धीमा होगा ।
यह रेस्ट आपके मानसिक स्वस्थता प्राप्त करने के लिए बेहद जरूरी है इससे आप फिर से तरोताजा महसूस करेंगे और यह रेस्ट वाला स्टेप आपके आगे के स्टेप लेने में भी मदद करेगा ।
2 – Analyze Failure (विफलता का विश्लेषण करें)
अगर आपने पहले स्टेप को अनुसरण कर लिया है तो तकरीबन आपका सिस्टम धीमा, शांत हो गया होगा और अब आप अपने Failure की समीक्षा करने के योग्य स्थिति में पहुँच गए है ।
अब आपको अपने फेलियर की खुले दिल से समीक्षा करनी है इसके लिए पेन और नोटबुक लेकर लोगों से दूर एकांत जगह पर चले जाए, वहाँ जाकर थोड़ी देर के लिए आखें बंद कर शांति से बैठ जाए फिर धीरे – धीरे अपनी योजनाओं (plans) को देखे की आपने क्या सोचकर काम का आरंभ किया था? कैसे प्लान्स बनाए थे? किस ऊर्जा के साथ आगे बढ़े थे? कौन सी वजहें थी जिससे आपके प्लान्स fail हुए? किस कारण आपको आपका मन चाहा परिणाम नहीं मिला? ऐसे शुरू से अंत तक आपको सभी बातें सोचनी है और जो भी महत्वपूर्ण पॉइंट लगे इसे नोटबुक में लिखते रहना है ।
अब आपके सामने पूरा प्लान खुला हुआ है, आप खुले दिल से देखे की कौन – कौन सी आपकी गलतियाँ थी जिससे आपको Failure का मुँह देखना पड़ा ।
अपनी सभी गलतियों की लिस्ट बना लीजिए और फिर देखिये की अभी इसमें से ऐसी कितनी गलतियाँ है जिसे अभी भी आप सुधार सकते है और अगर आप अभी भी सुधार सकते है तो अभी से लग जाए अपनी गलतियों को सुधारने के काम में ।
3 – Understand Failure and Focus on Learning (विफलता को समझे और सीखने पर ध्यान केंद्रित करे)
अब आपका सिस्टम भी शांत है और आपने अपनी गलतियाँ भी पकड़ ली है तो अब बारी है हमारे Failure को समझने की ।
आपके हाथ में जो था वो आपने अब तक बेस्ट कर लिया जैसे गलतियाँ भी पकड़ी और उसे सुधारने की कोशिश भी की और अब हमें अपने Failure को और गहराई से जानना है ।
हम जब तक चलते रहते है, जब तक हार नहीं मानते तब तक हम कभी fail नहीं है, अगर आज आपने Failure का सामना किया है तो वो आपके प्लान्स की नाकामयाबी है आपकी नहीं, आप फिर से अपने नए प्लान के साथ आगे बढ़ सकते है और बेहतर परिणाम पा सकते है । ऐसा कई लोगों ने किया है और यह बहुत ही आसान है ।
फेलियर कोई अंतिम लक्ष्य या श्राप नहीं है वो तो सफलता (Success) के रास्ते में आने वाला एक छोटा-सा भाग है इसलिए बार – बार फेलियर के बारे में सोचकर खुद को नीचे ना गिराए, खुद को अपराधी या दोषी ना साबित करे बल्कि फेलियर को समझकर आगे बढ़े ।
अगर आप बारीकी से देखेंगे तो आपको समझ आजायेगा की विफलता तो एक मात्र इशारा भर है सफलता की तरफ और मजबूती से आगे बढ़ने के लिए इसलिए बिना घबराहट आगे बढ़े ।
4 – Move Forward and Try again (आगे बढ़े और फिर से कोशिश करे)
अब तक आपने अपनी गलतियाँ भी जान ली है और इससे आपने बहुत सिख भी लिया है, अब बारी है फिर से नई शुरुआत की, फिर से नए प्लान्स बनाने और उसपर काम करने की ।
अपने इस नए अनुभव का उपयोग कर के नए प्लान गठित करे और कैसे आगे बढ़ना है, कैसे समस्याओं का सामना करना है और अगर फिर से आपके प्लान्स काम नहीं कर रहे तो इस स्थिति से कैसे निपटना है यह सब आप सोच, समझ और अनुभव का उपयोग कर के प्लानस बनाए ।
फिर पूरे जोश, ऊर्जा और अपने अनुभव के साथ काम पर लग जाइए और भरोसा रखे बेहतरीन दिन, परिणाम आने वाले है ।
5 – Improve and Inspire Your self (अपने आप में सुधार और अपने आपको प्रेरित करे)
अब आपकी मानसिक अवस्था बहुत ही मजबूत और सकारात्मक (Positive) होगी लेकिन फिर भी कुछ ऐसी आदतें (Habits) है जिसे हमे अपने जीवन में अपनाना चाहिए जिससे आप हर दिन सकारात्मकता और ऊर्जा से भरे रहे चाहे आपके प्लान काम करे या ना करे चाहे आप सफलता अर्जित करे या ना करे लेकिन आपका मन हमेशा खुश और सकारात्मक रहेगा और यही बुनियादी सफलता है ।
Self–belief (आत्मविश्वास)
खुद पे यकीन रखे आप जो भी हो, आप जो भी कर रहे हो आप इसमें सबसे बेस्ट है, आप में वो काबिलियत है जिससे आप अपने सभी सपनों को साकार कर लेंगे ।
आप में वो हर हुनर, काबिलियत है जो एक सफल व्यक्ति में होनी चाहिए इसलिए कभी भी अपने आप को किसी से कम या छोटा मत मानो, आप में, मेरे में, Sandeep Maheshwari में और Narendra Modi में सब में एक ही ऊर्जा है, एक ही शक्ति है बस फर्क है तो चाहना (desire) और समर्पण (dedication) का बस आप भी अपने desire चुन ले और काम में अपने आपको पूर्ण समरपित कर दीजिए और कल लोग सफलता के लिए आपका ही उदाहरण देंगे ।
Read Positive Books (सकारात्मक किताबें पढ़ें)
यह बहुत ही जरूरी है अगर आप अपने अंदर से Positive होना चाहते है तो Books पढ़ने को अपनी रोज़ाना आदतों में शामिल कर लो ।
रोजाना कुछ अच्छी Positive Books पढ़े इससे आपको अंदरूनी शक्ति, ऊर्जा और ज्ञान प्राप्त होगा और सही ज्ञान से आपके अंदर का डर ख़तम हो जायेगा और नया आत्मविश्वास (Self-confidence) प्रज्वलित होगा ।
Do Meditation Regular (हररोज ध्यान करे)
यह एक और आसान और शक्तिशाली तकनीक है जिसके जरिये आप अपने अंदर के अंधेरे को ख़तम कर के आध्यात्मिक उजाले की और आगे बढ़ सकते है जिसके जरिए आप सुख, शांति और संपूर्णता प्राप्त कर सकते है ।
यह मेरी सबसे पसंदीदा आदतों में से एक है आप भी इसे अपने जीवन में अपनाए और इससे आपके अंदर एक दिया प्रज्वलित होगा जो आपका हर अंधेरे में दिशा निर्देश करेगा ।
Become Friend to Yourself (खुद के अच्छे मित्र बन जाए)
खुद को खुद से ज्यादा ना कोई जान सकता है और ना ही कोई समझ सकता है ।
इसलिए खुद के अच्छे मित्र बन जाए, खुद से बातें करना सीखें, खुद को ही सवाल करे और खुद से ही जवाब मांगे और जब अंदर से जवाब मिलने शुरू हो जायेंगे तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको ना तो नकारात्मक कर पाएगी और नहीं परेशान ।
प्रिय मित्रों हमारा काम यही तक था की आपके सामने सही और आसान बातें रखे, जो आपकी मुश्किलों को तोड़ कर आपको एक हौसला दे, उम्मीद दे और प्रेरणा दे अब आपकी बारी है की आप इसे अपने जीवन में कैसे अपनाते है और इसका किस तरह का फायदा प्राप्त करते है ।
प्रिय मित्रों आप यह जरूर खयाल रखे की कोई कितना भी बड़ा शानदार प्लान हो लेकिन जब तक उस पर Action नहीं लेते वो बेकार है इसलिए हमने तो अपनी तरफ से एक शानदार लेख आपके सामने रख दिया है अब Action लेने की बारी आपकी है ।
प्रिय मित्रों आपको हमारा यह लेख How to overcome Failure and achieve Success कैसा लगा और आपके सुझाव कृपया comment के माध्यम से जरूर बताइयेगा, धन्यवाद ।
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मुसीबते हमारी ज़िंदगी की एक सच्चाई है। कोई इस बात को समझ लेता है तो कोई पूरी ज़िंदगी इसका रोना रोता है। ज़िंदगी के हर मोड़ पर हमारा सामना मुसीबतों(problems) से होता है. इसके बिना ज़िंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती। अक्सर हमारे सामने मुसीबते आती है तो तो हम उनके सामने पस्त हो जाते है। उस समय हमे कुछ समझ नहीं आता की क्या सही है और क्या गलत। हर व्यक्ति का परिस्थितियो को देखने का नज़रिया अलग अलग होता है। कई बार हमारी ज़िंदगी मे मुसीबतों का पहाड़ टूट पढ़ता है। उस कठिन समय मे कुछ लोग टूट जाते है तो कुछ संभाल जाते है। मनोविज्ञान के अनुसार इंसान किसी भी problem को दो तरीको से देखता है; 1 problem पर focus करके(problem focus peoples) 2 solution पर focus करके(solution focus peoples) Problem focus peoples अक्सर मुसीबतों मे ढेर हो जाते है। इस तरीके के इंसान किसी भी मुसीबत मे उसके हल के बजाये उस मुसीबत के बारे मे ज्यादा सोचते है। वही दूसरी ओर solution focus peoples मुसीबतों मे उसके हल के बारे मे ज्यादा सोचते है। इस तरह के इंसान मुसीबतों का डट के सामना करते है दोस्तो आज मै आपके साथ एक महान solution focus इंसान की कहानी शेयर करने जा रहा हु जो आपको किसी भी मुसीबत से लड़ने के लिए प्रोत्साहित (motivate) करेगी। दोस्तो आपने नेपोलियन बोनापार्ट (napoleon Bonaparte) का नाम तो सुना ही होगा। जी हा वही नापोलियन बोनापार्ट जो फ़्रांस के एक महान निडर और साहसी शासक थे जिनके जीवन मे असंभव नाम का कोई शब्द नहीं था। इतिहास में नेपोलियन को विश्व के सबसे महान और अजय सेनापतियों में से एक गिना जाता है। वह इतिहास के सबसे महान विजेताओं में से माने जाते थे । उसके सामने कोई रुक नहीं पाता था। नेपोलियन के बुलंद होसलों की कहानी- a motivational story नेपोलियन अक्सर जोखिम (risky) भरे काम किया करते थे। एक बार उन्होने आलपास पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना के साथ चल पढे। सामने एक विशाल और गगनचुम्बी पहाड़ खड़ा था जिसपर चढ़ाई करने असंभव था। उसकी सेना मे अचानक हलचल की स्थिति पैदा हो गई। फिर भी उसने अपनी सेना को चढ़ाई का आदेश दिया। पास मे ही एक बुजुर्ग औरत खड़ी थी। उसने जैसे ही यह सुना वो उसके पास आकर बोले की क्यो मरना चाहते हो। यहा जितने भी लोग आये है वो मुह की खाकर यही रहे गये। अगर अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो वापिस चले जाओ। उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन नाराज़ होने की बजाये प्रेरित हो गया और झट से हीरो का हार उतारकर उस बुजुर्ग महिला को पहना दिया और फिर बोले; आपने मेरा उत्साह दोगुना कर दिया और मुझे प्रेरित किया है। लेकिन अगर मै जिंदा बचा तो आप मेरी जय-जयकार करना। उस औरत ने नेपोलियन की बात सुनकर कहा- तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुनकर हताश और निराश नहीं हुए। ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते। आज सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) को इसलिए क्रिकेट (cricket) का भगवान कहा जाता है क्योकि उन्होने जरूरत के समय ही अपना शानदार खेल दिखाया और भारतीय टीम को मुसीबतों से उभारा। ऐसा नहीं है कि यह मुसीबते हम जैसे लोगो के सामने ही आती है, भगवान राम के सामने भी मुसीबते आयी है। विवाह के बाद, वनवास की मुसीबत। उन्होने सभी मुसीबतों का सामना आदर्श तरीके से किया। तभी वो मर्यादा पुरषोतम कहलाये जाते है। मुसीबते ही हमें आदर्श बनाती है। अंत मे एक बात हमेशा याद रखिये; जिंदगी में मुसीबते चाय के कप में जमी मलाई की तरह है, और कामयाब वो लोग हैं जिन्हेप फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना आता है
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एक दिन की बात है जब एक मनोवैज्ञानिक अध्यापक छात्रो को तनाव से निपटने के लिए उपाय बताता है। वह पानी का ग्लास उठाता है। सभी छात्र यह सोचते है की वह यह पूछेगा की ग्लास आधा खाली है या आधा भरा हुआ। लेकिन अध्यापक महोदय ने इसकी जगह एक दूसरा प्रश्न उनसे पूछा ”जो पानी से भरा हुआ ग्लास मैंने पकड़ा हुआ है यह कितना भारी है?” छात्रो ने उत्तर देना शुरू किया। कुछ ने कहा थोड़ा सा तो कुछ ने कहा शायद आधा लिटर, कुछ ने कहा शायद 1 लिटर । अध्यापक ने कहा मेरे नजर मे इस ग्लास का कितना भार है यह मायने नहीं रखता। बल्कि यह मायने रखता है की इस ग्लास को कितनी देर मै पकड़े रखता हूँ। अगर मै इसे एक या दो मिनट पकड़े रखता हूँ तो यह हल्का लगेगा, अगर मै इसे एक घंटे पकड़े रखूँगा तो इसके भार से मेरे हाथ मे थोड़ा सा दर्द होगा, अगर मै इसे पूरे दिन पकड़ा रखूँगा तो मेरे हाथ एकदम सुन्न पड़ जाएँगे और पानी का यही ग्लास जो शुरुआत मे हल्का लग रहा था उसका भर इतना बाद जाएगा की अब ग्लास हाथ से छूटने लगेगा। तीनों ही दशाओ मे पानी के ग्लास का भार नहीं बदलेगा लेकिन जितना ज्यादा मै इसे पकड़े रखूँगा उतना ज्यादा मुझे इसके भारीपन का एहसास होता रहेगा। मनोवैज्ञानिक अध्यापक ने आगे बच्चो से कहा ”आपके जीवन की चिंताए (tension) और तनाव(stress) काफी हद तक इस पानी के ग्लास की तरह है। इन्हे थोड़े समय के लिए सोचो तो कुछ नहीं होता, इन्हे थोड़े ज्यादा समय के लिए सोचो तो इससे इससे थोड़ा सरदर्द का एहसास होना शुरू हो जाएगा, इन्हे पूरा दिन सोचोगे तो आपका दिमाग सुन्न और गतिहीन पड़ जाएगा ” कोई भी घटना या परिणाम हमारे हाथो मे नहीं है लेकिन हम उसे किस तरह handle करते है ये सब हमारे हाथो मे ही है। बस जरूरत है इस बात को सही से समझने की। आप अपनी चिंताए (tension) छोड़ दे, जितनी देर आप tension अपने पास रखोगे उतना ही इसके भार का एहसास बढ़ता जाएगा। यही चिंता बाद मे तनाव का कारण बन जाएगी और नयी परेशानिया पैदा हो जाएंगी।
सुबह से शाम तक काम करने पर इंसान उतना नहीं थकता जितना चिंता करने से पल भर मे थक जाता है – स्वामी विवेकानंद
अंत मे हमेशा एक बात याद रखेंचिंता (tension) और तनाव (stress) उन पक्षियो की तरह है जिन्हे आप अपने आसपास उड़ने से नहीं रोक सकते लेकिन उन्हे अपने मन मे घोसला बनाने से तो रोक ही सकते है आलस्य (Laziness) से हम सभी परिचित हैं । काम करने का मन न होना, समय यों ही गुजार देना, आवश्यकता से अधिक सोना आदि को हम आलस्य की संज्ञा देते हैं और यह भी जानते हैं कि आलस्य (Laziness) से हमारा बहुत नुकसान होता है । फिर भी आलस्य से पीछा नहीं छुटता, कहीं न कहीं जीवन में यह प्रकट हो ही जाता है । आलस्य करते समय हम अपने कार्यों, परेशानियों आदि को भूल जाते हैं और जब समय गुज़र जाता है तो आलस्य का रोना रोते हैं, स्वयं को दोष देते हैं, पछताते हैं । आलस्य (Laziness) तो मन का एक स्वभाव है । यह दीखता भी हमारे व्यवहार में है, इसे यों ही पकड़ा नहीं जा सकता । आलस्य को हम दूर भगाना चाहते हैं, इससे दूर जाना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि आलस्य हमें क्यों आ रहा है? यदि हम उन कारणों को दूर कर सकें तो संभवत: आलस्य के नकारात्मक प्रभावों से बच सकते हैं । सबसे पहले यह समझने का प्रयत्न करते हैं कि आलस्य है क्या? (What is Laziness)
आलस्य (Laziness) – थक जाने को, कुछ नया करने से बचने को या फिर चीजों को टालते रहने की प्रवृत्ति को कहते हैं । प्रश्न उठता है कि वे क्या कारण हैं जिनकी वजह से हमें आलस्य आता है ।
इसके बारे में मशहूर साइकोलॉजिस्ट लारा डी० मिलर कहती हैं, कि आलस्य की ज़रूरत से ज्यादा आलोचना की जाती है । आलसी का ठप्पा लगा देने से इस बात को समझने में कतई मदद नहीं मिलती कि कोई व्यक्ति क्यों वह काम नहीं कर रहा, जो वह करना चाहता है या फिर उसे करना चाहिए । हो सकता है कि आलस्य करने के पीछे किसी तरह का डर छिपा हो । कुछ न करना, असफल होने का डर, दूसरों की अपेक्षाएँ, असंतुष्टि, प्रेरणा की कमी व बहसबाजी से बचने की कोशिश में कुछ न करने के लिए ओढ़ा गया लबादा भी यह हो सकता है । अतः आलस्य (Idleness) को समस्या मानने की जगह उसे अन्य समस्याओं के लक्षण के तौर पर समझना चाहिए ।
आलस्य (Laziness) की समस्या व्यक्ति की और एक इशारा यह भी है कि व्यक्ति की सोच यह है कि अब परिस्थितियों को बदला नहीं जा सकता ।
कुछ व्यंग्यकारों ने भले ही इसकी तारीफ़ की हो, कई सुविधाजनक वस्तुओं के आविष्कार की प्रेरणा (Inspiration) माना हो, इसे धीरता की निशानी और जिंदगी को आसान बनाने की कला समझा हो, पर सच यही है कि आलस्य की वजह को न ढूँढना और लंबे समय तक ज़रूरी कामों से बचते रहना अपने कैरियर एवं जिंदगी को कष्टप्रद बना सकता है ।
एक सीमा तक आलस्य हमें सुकूनदायक लगता है, ख़ुशी देता है, नुकसान नहीं पहुँचाता, लेकिन समय की उस सीमा के बाद लगातार काम करते रहने से बचना हमें ख़ुशी से ज्यादा दर्द देने लगता है, मन को बेचैनी व पछतावे से भरने लगता है; क्योंकि काम न करने से काम का ढेर कम नहीं होता, बल्कि बढ़ता है और धीरे – धीरे यह इतना बढ़ जाता है कि यह हमें अपने बारे में, अपने कार्यों और अपने रिश्तों के बारे में अच्छा महसूस करने नहीं देता । एक तरह से हम आलस्य (Laziness) के कारण नकारात्मकता से घिर जाते हैं और नकारात्मक सोचने लगते हैं ।
आलस्य दो प्रकार का होता है । (Two types of Laziness)
हला वो, जिसमें व्यक्ति मेहनत करके पहले अपना काम पूरा करता है और फिर कुछ समय बिना कुछ किए आलस्य में बिताना चाहता है । इस तरह का आलस्य (Laziness) नुकसान नहीं पहुँचाता, बल्कि लाभ देता है । जब हमारे ज़रूरी कार्य पूर्ण हो जाते हैं और बचे हुए समय को हम सुकून से जीते हैं, बिना किसी तनाव के अपने कार्यों को करते हैं तो यह हमें एक तरह से जिंदगी का आनंद देता है ।
दूसरा आलस्य वह, जिसमें व्यक्ति के अंदर कुछ करने की प्रेरणा (Inspiration) ही नहीं होती । ऐसी स्थिति में व्यक्ति कुछ न कर पाने के कारण बेचैन तो रहते हैं, पर उनमें वह उत्साह नहीं होता, जो उनसे कुछ काम करा ले । कई बार व्यक्ति को यह ही पता नहीं होता कि वह क्या करना चाहता है और यह समझ न पाने के कारण भी वह आलस्य करता है ।
इस तरह लंबे समय तक कुछ न करना, कामों को टालना, रोज़मर्रा के कार्यों को मजबूरी मानते हुए करना – यह कुछ और नहीं, बल्कि मन में जन्म ले रही निराशा के संकेत हैं, जिसके कारण व्यक्ति अपना समय कम मेहनत वाली और उबाऊ चीजों में बिताने लगता है । इस तरह के आलस्य (Idleness) निपटना बेहद ज़रूरी है । अपने जीवन से आलस्य को दूर भगाने के लिए हमें थोड़ी मेहनत, मशक्कत तो करनी ही पड़ेगी ।
आलस्य को कैसे दूर करे? (How to Overcome Laziness)
ब्रिटिश लेखक और राजनीतिज्ञ बेंजामिन डिजरायली का इस बारे में कहना था कि “काम से हमेशा ख़ुशी मिले, यह ज़रूरी नहीं, पर यह तय है कि ख़ुशी बिना काम किए नहीं मिल सकती ।” इसलिए जिंदगी को बेहोश करने वाले आलस्य के नशे का त्यागकर जिंदगी की असली ख़ुशी की तलाश करनी चाहिए और यह हमें बिना काम किए नहीं मिल सकती ।
काम करके ही हम जिंदगी का असली सुकून प्राप्त कर सकते हैं । भले ही हम अपने कार्यों में सफल हों या असफल, यह सोचने के बजाय कार्य करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए । कार्य करते समय एक साथ कई काम करने के बजाय एक बार में एक या दो कामों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए; क्योंकि इससे हमारे कार्य पूर्ण होंगे और अपने कार्यों को पूरा होते हुए देखने से हमारा आत्मविश्वास (Self-confidence) भी बढ़ेगा और ख़ुशी (Happiness) भी ।
हमें करने को अनगिनत कार्य होते हैं, जिनके कारण हम यह समझ नहीं पाते कि शुरुआत कहाँ से करें? कैसे करें? इसलिए स्वयं में यह आदत डालनी चाहिए कि अपने समक्ष उपस्थित कार्यों को हम समेटते और सहेजते रहें, अनावश्यक विचारों से खुद को मुक्त करने की कोशिश करें; क्योंकि जितना हमारे अंदर बिखराव कम होगा, उतना ही अधिक हमारा स्वयं पर नियंत्रण होगा ।
व्यायाम, योगाभ्यास आदि आलस्य (Laziness) को दूर भगाने के श्रेष्ठ तरीकों में से हैं । ये हमारे शरीर व मन को जीवनीशक्ति से भरपूर बनाते हैं, इन्हें तरोताजा करते हैं व मन में उत्साह जगाते हैं । इसके साथ ही आलस्य (Laziness) को दूर भगाने के लिए हमें सकारात्मक विचारों (Positive Thinking), सही दिशाधारा और उन पर चलने के लिए मजबूत पहल की आवश्यकता होती है । इन्हें अपना कर ही कोई आलस्य (Idleness) से बच सकता है
प्रिय पाठक मित्रों आपको हमारा यह लेख How to Overcome Idleness and Laziness in Hindi कैसा यह हमें Comments के माध्यम से ज़रूर बताइयेगा, धन्यवाद ।
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